Press Release for Sickle Cell Disease & Thalassemia

Sickle Cell Disease and Thalassemia

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दिल्ली के डॉक्टर गौरव खारया बच्चों में सिकलसेल और थैलेसीमिया के इलाज और बोन मैरो प्रत्यारोपण पर चर्चा।

दिनांक: 7 जनवरी 2021

Dr. Gaurav Kharya

डॉ. गौरव खारया

(वरिष्ठ सलाहकार एवं बच्चों के डॉक्टर, Hematology, Oncology, Immunology)

सिकल सेल रोग (SCD) हीमोग्लोबिन विकार है, जो कि जीवन के लिए खतरा है और इसकी वजह से कई तरह की समस्याएं होती है। इसके लिए आवश्यक सहायक देखभाल में कई बदलाव के बावजूद , इस रोग के मरीजों के जीवन में गुणवत्ता नहीं आ पाई है। अब तक, सिकल सेल रोग से पीड़ित किसी भी रोगी की मदद के लिए कोई ठोस कार्य नहीं हुआ है, फोलिक एसिड, पेनिसिलिन और आवश्यकता अनुसार रक्त चढ़ाना जैसी सहायक देखभाल के बावजूद, कई बच्चे अभी भी गुणवत्ता युक्त जीवन नहीं जी पा रहे हैं।

लेकिन पिछले दशक में SCD के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। जिसमें, सम्बंधित या असंबंधित, किसी भी डोनर के होने पर 90% तक जीवन रक्षा में सुधार हुआ है।

विशेषज्ञ डॉ गौरव खारया

डॉ. गौरव खारया SCD के रोगियों के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने SCD के लिए 100 से अधिक BMT (बोन मैरो ट्रांसप्लांट) किए हैं जो एक ही केंद्र से BMT द्वारा इलाज किए जा रहे SCD रोगियों की in world सबसे बड़ी संख्या है। उन्होंने हैप्लो आइडेंटिकल डोनर्स के बोन मैरो का उपयोग करके रोगियों के इलाज के लिए कुछ नवीन प्रोटोकॉल भी विकसित किए हैं।

सिकल सेल रोग को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें डोनर (या तो भाई / बहन / माता-पिता या असंबंधित डोनर) से स्वस्थ स्टेम cells (जो आनुवांशिक रूप से रोगी के साथ संगत होते हैं/HLA compatible) उन्हें एफ़ेरेसिस मशीन का उपयोग करके डोनर के शरीर से बाहर निकाला जाता है। Simultaneously कीमोथेरेपी के द्वारा रोगी ke defective bone marrow ko destroy kar दिया जाता है। Chemotherapy khatam hone ke baad, donor se liye gaye stem cells ko patinet ko blood transfusion ki tarah de diya jata hai. एक बार रोगियों को दिए जाने के बाद, कोशिकाओं को ठीक होने में 2-3 सप्ताह लगते हैं। एक बार जब नया बोन मैरो सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देता है, तो रोगी को छुट्टी दे दी जाती है और 6-8 सप्ताह तक नियमित साप्ताहिक फॉलोअप के लिए बुलाया जाता है। प्रत्यारोपण की दवाएं 6-9 महीनों तक जारी रखी जाती हैं, जिसके बाद उन्हें धीरे-धीरे बंद कर दिया जाता है। सभी दवाओं के बंद होने के पश्चात् बच्चा अपनी उम्र के किसी भी अन्य सामान्य बच्चे की तरह होता है।

इससे पहले SCD के लिए बीएमटी की सफलता दर अच्छी नहीं थी, लेकिन पिछले दशक में अनुभवी केंद्रों में सफलता दर 90% से अधिक तक पहुंचने के साथ महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

लागत बीएमटी के प्रकार (full hla match, half hla match), रोगी का वजन आदि पर निर्भर करती है I उपर्युक्त कारकों के आधार पर औसत लागत 12 लाख से 20 लाख तक होती है। विभिन्न एजेंसियां (सरकारी और गैर-सरकारी) हैं जो बीएमटी की आवश्यकता वाले इन बच्चों की मदद कर रही हैं.

डोनर जिससे एचएलए मिलान (आनुवंशिक मिलान/HLA matching) हो सिबलिंग या जो रिश्तेदार ना भी हो पर एचएलए मिलान हो, यहां तक कि 50% आनुवांशिक रूप से समान अभिभावक भी स्टेम सेल दान कर सकते हैं। सरल शब्दों में, किसी भी बच्चे को बीएमटी की आवश्यकता होती है, वह एक या अन्य डोनर का उपयोग करके प्रक्रिया से गुजर सकता है।

डोनर के लिए प्रक्रिया बिल्कुल सुरक्षित है। डोनर 1 साल से 45 साल की उम्र तक किसी भी उम्र का हो सकता है। डोनर ग्रोथ फैक्टर इंजेक्शन के 4-5 दिनों के बाद स्टेम सेल संग्रह प्रक्रिया से गुजरता है। स्टेम सेल को एफेरेसिस मशीन का उपयोग करके एकत्र किया जाता है जो प्लेटलेट्स को इकट्ठा करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। संग्रह के लिए 3-4 घंटे लगते हैं जिसके बाद दाता को छुट्टी दे दी जाती है और अगले दिन से अपनी दिनचर्या फिर से शुरू करने के लिए फिट होता है।

हाँ, एक बार ठीक होने और 100 दिन में रोग मुक्त घोषित होने पर, SCD पूरे जीवन के लिए ठीक हो जाता है.


 

Dedicated Bone Marrow Transplant OPD for Sickle Cell Disease & Thalassemia- Press Release

Date: Jan 7th 2021

Dr. Gaurav Kharya

Dr. Gaurav Kharya

(Senior Consultant and Pediatrician, Hematology, Oncology, Immunology )

Sickle cell disease (SCD) is the commonest hemoglobin disorder across the globe with life threatening or life limiting complications. Despite improvements in supportive care which is limited to resource rich setting, majority of SCD patients in resource limited settings still go through a lot of suffering with very poor quality of life and low life expectancy hardly beyond 4th decade of life. Not only it causes lot of suffering to the patient but it also incurs huge financial costs to the family and also to the government and the tax payers.

So far, there was not much to offer for any patient suffering from sickle cell disease and the management was mainly focused around optimal supportive care which included hydroxyurea, folic acid, penicillin and as and when required blood transfusions. Despite optimal supportive care, many children still live a pathetic quality of life.

Last decade has seen some remarkable work in the field of Bone Marrow Transplant for SCD. The outcomes have improved from 30-40% to >90% life long survival irrespective of donor.

Dr Gaurav Kharya has been actively working on the wellbeing of patients with SCD. He has done more than 100 BMTs for SCD which is in itself the largest number of SCD patients being treated by BMT from a single center. He is credited to doing the first haploidentical BMT for SCD in India and has also developed some innovative protocols for treating patients using haploidentical donors.

Some FAQ’s which come to parent’s mind while considering BMT as an option:

Sickle cell disease can now be cured completely by offering Bone Marrow Transplant.

Bone marrow transplant is a procedure where healthy stem cells from a donor (either brother/sister/parents or unrelated donor) who are genetically compatible with the patient are taken out from the donor using the apheresis machine. They are then given to the patient after preparing him with certain medications called as chemotherapy. Once given to the patients, the cells take 2-3 weeks to recover. Once the new bone marrow starts working normally, the patient is discharged and called for routine weekly follow ups for 6-8 weeks. The transplant medicines are continued for 6-9 months after which they are gradually discontinued. Once off all the medicines the child is like any other normal child of his/her age.

Earlier the success rate of BMT for SCD were not good but last decade has seen significant progress with success rates reaching more than 90% in experienced centers.

The cost depends on a number of factor ex type of BMT, weight of the patient etc. The average cost ranges from 12 lacs to 20 lacs depending on above mentioned factors. There are various agencies (Govt & non-govt) which are there to help these kids in need of BMT.

Donor can be either HLA matched (genetic matched) sibling or HLA matched unrelated donor or even a parent who is 50% genetically identical can also donate the stem cells. In simple words, any child who needs a BMT can undergo the procedure using one or other donor.

The procedure is absolutely safe for the donor. Donor can be of any age between 1 year till 45 years of age. The donor undergoes stem cells collection after receiving 4-5 days of growth factor injections. The stem cells are collected using the apheresis machine which is used for collecting platelets as well. It takes 3-4 hours for collection after which the donor is discharged and fit to resume the duties from next day.

YES, once cured and declared disease free at day 100, SCD gets cured for entire life

Petals Children Hospital